वैज्ञानिकों ने दी नई तकनीक, धान की फसल को दीमक और कीड़ों से बचाएगी: जानें धान की रोपाई से पहले मृदा उपचार

धान की फसल

खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ ही कपास के बाद सबसे प्रमुख फसल धान की रोपाई का काम तेजी से शुरू हो चुका है। धान की फसल के लिए मृदा का उपचार अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दीमक और अन्य भूमिगत कीट जड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे पूरी फसल चौपट हो सकती है। गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने किसानों को इस नुकसान से बचाने के लिए मृदा उपचार की नई तकनीक की जानकारी दी है।

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मृदा उपचार का महत्व

धान की फसल में निरंतर सिंचाई की आवश्यकता होती है, जिससे मिट्टी में बहुत सारे कीट सक्रिय हो जाते हैं और जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा का कहना है कि अगर धान की रोपाई से पहले मृदा उपचार कर लिया जाए तो फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान द्वारा तैयार किए गए फफूंदी जनित जैविक उत्पाद इस काम में काफी प्रभावी साबित हो सकते हैं।



जैविक उत्पाद का उपयोग

डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि भूमिगत कीटों की रोकथाम के लिए खेत की अंतिम जुताई के समय 5 किलोग्राम ब्यूवेरिया बेसियाना और मेटाराइजियम एनिसोप्ली प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर डाल देना चाहिए। इसके बाद खेत को जोतने के बाद पाटा लगाकर समतल कर देना चाहिए। फिर पानी भरकर खेत को तैयार कर लेना चाहिए और धान की रोपाई कर देनी चाहिए। इस प्रक्रिया से भूमिगत कीटों का प्रभाव कम हो जाएगा और फसल सुरक्षित रहेगी।

ब्यूवेरिया बेसियाना और मेटाराइजियम एनिसोप्ली

इन जैविक उत्पादों का उपयोग करके किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं। ब्यूवेरिया बेसियाना और मेटाराइजियम एनिसोप्ली फफूंदी जनित जैविक उत्पाद हैं जो भूमिगत कीटों को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। एक किलो ब्यूवेरिया बेसियाना और मेटाराइजियम एनिसोप्ली की कीमत 168 रुपए निर्धारित की गई है, जिसे किसान उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान से खरीद सकते हैं।   Join YouTube ▶️

धान की फसल के लिए अन्य महत्वपूर्ण सुझाव

धान की रोपाई से पहले मृदा का उपचार करने के अलावा, कुछ अन्य महत्वपूर्ण सुझाव भी हैं जिनका पालन करके किसान अपनी फसल को बेहतर बना सकते हैं।

  1. खेत की तैयारी: खेत की अच्छी तैयारी धान की फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। खेत को समतल करना और पर्याप्त पानी भरना धान की रोपाई के लिए अनिवार्य है।
  2. उपयुक्त बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन धान की उपज को बढ़ाने में सहायक होता है। किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीजों का उपयोग करना चाहिए।
  3. सिंचाई का उचित प्रबंधन: धान की फसल को नियमित और उचित मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। सिंचाई का सही प्रबंधन फसल को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
  4. उर्वरक का सही उपयोग: धान की फसल को स्वस्थ रखने के लिए उर्वरकों का सही उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है। जैविक उर्वरकों का उपयोग फसल की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है।
  5. कीट और रोग प्रबंधन: धान की फसल में कीट और रोगों का प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है। जैविक उत्पादों का उपयोग करके कीट और रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है।

जैविक उत्पादों के फायदे

जैविक उत्पादों का उपयोग करने से फसल में कीटों का प्रभाव कम हो जाता है और फसल की गुणवत्ता बढ़ जाती है। इसके अलावा, जैविक उत्पाद पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होते हैं और मृदा की उर्वरता को बनाए रखते हैं। किसानों को जैविक उत्पादों का उपयोग करने से न केवल उनकी फसल की उपज बढ़ेगी, बल्कि वे स्वस्थ और सुरक्षित फसल भी प्राप्त करेंगे।

निष्कर्ष

धान की फसल के लिए मृदा उपचार अत्यंत महत्वपूर्ण है और उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने इस संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। जैविक उत्पादों का उपयोग करके किसान अपनी फसल को कीटों से सुरक्षित रख सकते हैं और बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं।

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