दिल्ली में मानसून की पहली बारिश ने खोली नगर प्रशासन की पोल, जलभराव और ट्रैफिक जाम ने लोगों की मुश्किलें बढ़ाईं

मानसून

नई दिल्ली, 28 जून: दिल्ली में मानसून की पहली बारिश ने नगर प्रशासन की व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। शहर की सड़कें और अंडरपास जलमग्न हो गए, जिससे ट्रैफिक जाम और जलभराव की गंभीर समस्याएं सामने आई हैं। देश की वरिष्ठ पर्यावरणविद् डॉ. सीमा जावेद का कहना है कि बड़े शहरों में तेज बारिश के बाद हालात काफी खराब हो सकते हैं, क्योंकि इन शहरों में जलनिकासी की उचित व्यवस्था नहीं है। विशेष रूप से दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरू जैसे शहरों में यह समस्या अधिक गंभीर है।

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मानसून की पहली बारिश और समस्याएं

दिल्ली में मानसून की पहली बारिश के बाद ही विभिन्न इलाकों में पानी भर गया। लोधी रोड, आईटीओ, मिंटो रोड, और जसोला जैसे कई महत्वपूर्ण स्थानों पर सड़कों पर पानी भर जाने के कारण ट्रैफिक जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई। लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में कई घंटे का समय लग गया। कुछ स्थानों पर तो वाहनों का पानी में फंस जाना आम हो गया है।

अंडरपास और जलभराव की समस्या

विशेष रूप से अंडरपास में जलभराव की समस्या बेहद गंभीर है। दिल्ली के विभिन्न अंडरपास में पानी भर जाने के कारण वाहनों का आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया। इससे न केवल ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न हुई, बल्कि लोगों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई। पिछले साल बेंगलुरू में एक अंडरपास में पानी भर जाने से स्कूटी सवार लड़की की दुखद मौत ने इस समस्या की गंभीरता को और बढ़ा दिया था।


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पर्यावरणविद् का दृष्टिकोण

वरिष्ठ पर्यावरणविद् डॉ. सीमा जावेद ने बताया कि दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरू जैसे बड़े शहरों में जलनिकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण मानसून के दौरान जलभराव की समस्या बढ़ जाती है। उन्होंने कहा, “इन शहरों में बेतरतीब निर्माण, कंक्रीट के जंगल और प्राकृतिक जलनिकासी प्रणाली का अभाव है, जिसके कारण बारिश का पानी सही तरीके से बह नहीं पाता।” डॉ. जावेद ने यह भी कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए नगर प्रशासन को अधिक सजग और सतर्क रहना होगा।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि वे जलभराव की समस्या से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने कई क्षेत्रों में जलनिकासी की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन मानसून की पहली ही बारिश ने हमारी तैयारियों की कमी को उजागर कर दिया है।” उन्होंने यह भी कहा कि आगामी दिनों में और अधिक प्रयास किए जाएंगे ताकि लोगों को इस समस्या से निजात मिल सके।

नागरिकों की समस्याएं

बारिश के कारण उत्पन्न हुई समस्याओं से नागरिक बेहद परेशान हैं। एक स्थानीय निवासी, रश्मि वर्मा ने बताया, “बारिश के बाद मेरे ऑफिस जाने का रास्ता पूरी तरह से जलमग्न हो गया था। मुझे दो घंटे तक ट्रैफिक में फंसा रहना पड़ा।” एक अन्य निवासी, राजेश कुमार ने कहा, “प्रशासन को मानसून से पहले जलनिकासी की व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए था, लेकिन हर साल हमें यही समस्या झेलनी पड़ती है।”

समाधान और सुझाव

जलभराव की समस्या से निपटने के लिए विशेषज्ञों ने कई सुझाव दिए हैं। सबसे पहले, शहरों में जलनिकासी की व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता है। इसके लिए अधिक जलनिकासी नालियों का निर्माण और मौजूदा नालियों की नियमित सफाई आवश्यक है। इसके साथ ही, पर्यावरणविदों का सुझाव है कि शहरी क्षेत्रों में हरित क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जाए ताकि बारिश का पानी जमीन में समा सके।

डॉ. जावेद का मानना है कि प्राकृतिक जलनिकासी प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिए स्थानीय तालाबों, झीलों और जलाशयों को पुनर्जीवित करना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें अपनी जलनिकासी प्रणाली को फिर से प्राकृतिक बनाने की दिशा में काम करना होगा। इसके लिए सरकारी और स्थानीय स्तर पर संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है।”

निष्कर्ष

दिल्ली में मानसून की पहली ही बारिश ने नगर प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी है। जलभराव और ट्रैफिक जाम की समस्याओं ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस समस्या से निपटने के लिए प्रशासन को तत्परता से कदम उठाने की आवश्यकता है। साथ ही, नागरिकों को भी जलनिकासी व्यवस्था में सुधार के लिए अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। मानसून के दौरान सजगता और सतर्कता ही हमें इस समस्या से बचा सकती है।

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