पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम द्वारा दायर फरलो की मांग वाली याचिका पर हरियाणा सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस राम रहीम की 21 दिनों की फरलो की मांग को लेकर दी गई याचिका के संबंध में है।
फरलो की मांग
राम रहीम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 21 दिनों की फरलो की मांग की थी, जिसमें उन्होंने कल्याणकारी कार्यों की आवश्यकता को कारण बताया। याचिकाकर्ता ने हरियाणा सरकार के पास फरलो के लिए आवेदन किया था, लेकिन हाईकोर्ट के 29 फरवरी के आदेश के कारण उन्हें इसका लाभ नहीं मिल सका।
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अदालत का आदेश
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में सरकार को अदालत की मंजूरी के बिना याचिकाकर्ता को पैरोल देने से रोक दिया था। राम रहीम ने कहा कि उनके नेतृत्व में डेरे में कई कल्याणकारी गतिविधियां होती हैं, जैसे कि गरीब लड़कियों की शादी, वृक्षारोपण आदि। हरियाणा सरकार पहले ही तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराए गए और आजीवन कारावास की सजा काट रहे 89 अन्य कैदियों को पैरोल दे चुकी है।
उच्च न्यायालय का स्पष्टिकरण
उच्च न्यायालय ने 7 अप्रैल, 2022 के अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ता एक कट्टर अपराधी की परिभाषा में नहीं आता है। हरियाणा गुड कंडक्ट ऑफ प्रिजनर्स एक्ट के तहत हर साल कैदियों को 70 दिनों की पैरोल और 21 दिनों की फरलो देने का प्रावधान है। याचिकाकर्ता ने अब तक प्राप्त पैरोल या फरलो का दुरुपयोग नहीं किया है और इस प्रकार वह फरलो का हकदार है।
आगे की सुनवाई
राम रहीम का 20 दिनों का पैरोल और 21 दिनों का फरलो पहले से ही अधिकारियों के समक्ष लंबित है। हाईकोर्ट ने इस मामले में हरियाणा सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए बुलाया है। इस मामले में आगे की सुनवाई पेरोल के मामले में लंबित याचिका के साथ की जाएगी।
इस खबर से साफ है कि डेरा प्रमुख राम रहीम को अपनी फरलो की मांग पर एक और चुनौती का सामना करना पड़ेगा। अब देखना होगा कि हाईकोर्ट इस मामले में क्या फैसला करता है।