नई दिल्ली: किसी व्यक्ति के जेल में सजा काटने का मतलब यह नहीं है कि उसे सभी मानवाधिकारों से वंचित कर दिया जाए। कानून के हिसाब से, कैदियों के भी कुछ अधिकार और आवश्यकताएं होती हैं जिनका ख्याल रखा जाता है। इन्हीं अधिकारों में से एक है अपने पार्टनर के साथ प्राइवेट टाइम बिताने का अधिकार। हालांकि, यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन दुनिया के कुछ हिस्सों में इसे कानूनी मान्यता प्राप्त है।
क्या है प्राइवेट टाइम का प्रावधान?
प्राइवेट टाइम या वैवाहिक मुलाकात (Conjugal Visit) का प्रावधान उन मुलाकातों को संदर्भित करता है जिसमें एक कैदी को कुछ अवधि के लिए अपने जीवनसाथी के साथ समय बिताने की अनुमति दी जाती है। इस दौरान वे अपने पार्टनर के साथ निजी संबंध बना सकते हैं। यह नियम दुनिया के कई देशों में लागू है, लेकिन भारत में यह अभी तक व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है।
भारतीय कानून में प्रावधान
दिल्ली हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रेम जोशी के अनुसार, “भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है जो कैदियों को वैवाहिक मुलाकात की अनुमति देता हो। हालांकि, कुछ मामलों में कोर्ट ने इसके लिए अनुमति दी है और जीवनसाथी के साथ समय बिताने की छूट दी है।”
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उन्होंने यह भी बताया कि इसका संबंध एक अधिकार से है और इसे प्रीविलेज के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कुछ देशों जैसे कनाडा, जर्मनी, रूस, स्पेन, बेल्जियम, सऊदी अरब, डेनमार्क, और अमेरिका में इस तरह की मुलाकातों के लिए कानून है और वहां कैदियों को यह छूट दी जाती है।
कोर्ट के निर्णय
साल 2015 में, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कैदियों को अपने पार्टनर के साथ समय बिताने और प्रेग्नेंसी को लेकर अनुमति दी थी। कोर्ट ने कहा था कि कैदी जेल में रहते हुए भी प्रेग्नेंट करने के अधिकार के हकदार थे और यह उनका मौलिक अधिकार था। इसी तरह, मद्रास हाईकोर्ट ने भी एक बार एक कैदी को अस्थायी छुट्टी दी थी, जो आजीवन कारावास की सजा काट रहा था।
हालांकि, जेल मैनुअल में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं होने पर जेल अधिकारियों ने इसके विपरीत तर्क दिया था, लेकिन कोर्ट ने आर्टिकल 21 के आधार पर पत्नी की याचिका पर इजाजत दी थी। बता दें कि सिर्फ कोर्ट की इजाजत के बाद ही इस तरह की मुलाकात की अनुमति मिलती है और इसमें कोर्ट की ओर से समय, स्थान आदि की अनुमति मिलती है।
जेलों में कमरों की व्यवस्था
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के कुछ जेलों में प्राइवेट टाइम के लिए विशेष कमरों की व्यवस्था की गई है। इन कमरों में डबल बेड, वॉशरूम, मेज, कुर्सी, स्टूल, और पानी की व्यवस्था होती है। जब पति-पत्नी की मुलाकात होती है, तो कमरा बाहर से बंद रहता है और उन्हें दो घंटे तक अंदर रहने की अनुमति दी जाती है।
हालांकि, यह सुविधा हर जेल में उपलब्ध नहीं है और अनुमति पर अंतिम फैसला कोर्ट ही लेता है।
कैदियों के अधिकार
प्रेम जोशी के अनुसार, “इस प्रावधान का उद्देश्य कैदियों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखना है। एक कैदी भी इंसान है और उसकी भावनाएं होती हैं। प्राइवेट टाइम बिताने का अधिकार कैदियों को एक नयी ऊर्जा और सकारात्मकता प्रदान करता है।”
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अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण
दुनिया के कई देशों में कैदियों को वैवाहिक मुलाकात की सुविधा दी जाती है। इसका उद्देश्य कैदियों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बनाए रखना है। यह सुनिश्चित करना है कि कैदियों को भी एक सामान्य जीवन जीने का मौका मिले। इसके अलावा, यह कैदियों को सुधरने और पुनर्वास की प्रक्रिया में मदद करता है।
निष्कर्ष
भारत में कैदियों के अधिकारों को लेकर समय-समय पर चर्चा होती रही है। वैवाहिक मुलाकात का प्रावधान एक संवेदनशील मुद्दा है और इसे लागू करने के लिए व्यापक चर्चा और कानूनी मान्यता की आवश्यकता है। कैदियों को अपने पार्टनर के साथ समय बिताने का अधिकार एक सकारात्मक कदम हो सकता है, लेकिन इसे सटीक नियमों और कानूनों के तहत ही लागू किया जाना चाहिए।