हाथरस में हुए भीषण हादसे ने देश को हिला दिया है। इस घटना में 121 लोगों की दर्दनाक मृत्यु हो गई, जिसमें 108 महिलाएं, सात बच्चे और एक पुरुष शामिल हैं। यह हादसा उस समय हुआ जब नारायण साकार विश्व हरि (भोले बाबा) के सत्संग के बाद उनके चरण रज लेने और दर्शन करने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। इस घटना के बाद कई लोग घायल भी हुए हैं।
हाइलाइट्स
- मैनपुरी के आश्रम से निकला गाड़ियों का काफिला, भोले बाबा के जाने के चर्चाएं।
- हाथरस में हादसे के बाद गुपचुप तरीके से मंगलवार को पहुंचे बिछवां आश्रम में।
- रात में पुलिस ने किया था नामौजूदगी का दावा।
- सुबह आश्रम से निकला गाड़ियों का काफिला।
संवाददाता मैनपुरी। हाथरस के सिकंदराराऊ में हुए इस भीषण हादसे के बाद बिछवां के आश्रम में पहुंचे साकार विश्व हरि भोले बाबा मंगलवार रात को आश्रम से बाहर नहीं निकले थे। मंगलवार मध्यरात्रि आश्रम के अंदर गई पुलिस ने बाहर निकलकर यही दावा किया था, लेकिन अनुयायियों का कहना था कि बाबा अंदर ही थे। इसके बाद बुधवार सुबह आश्रम से गाड़ियों का काफिला बाहर निकला, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि भोले बाबा आश्रम से बाहर निकल गए हैं। हालांकि, कुछ अनुयायी अब भी बाबा के आश्रम के अंदर होने की बात कर रहे हैं।
मैनपुरी के बिछवां स्थित हरीनगर में रामकुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट का आश्रम है, जिसे भोले बाबा के अनुयायी विनोद बाबू आनंद ने स्थापित किया है। विनोद बाबू आनंद ने भोले बाबा के 10 मई 2024 से 31 मई 2025 तक स्वास्थ्य कारणों से बिछवां आश्रम में प्रवास करने की अनुमति मांगी थी। पुलिस की रिपोर्ट के बाद उन्हें यहां प्रवास की अनुमति दी गई थी। अनुमति मिलने के बाद आश्रम में भोले बाबा के सत्संग का कार्यक्रम 10 जून तक चला था। बाद में गर्मी बढ़ जाने के कारण सत्संग कार्यक्रम रोक दिया गया था।
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हाथरस हादसे की घटना
2 जुलाई को दोपहर में भोले बाबा हाथरस में सत्संग के लिए आश्रम से रवाना हुए थे। वहां हादसा होने के बाद भोले बाबा गुपचुप तरीके से आश्रम पर लौट आए। इसके बाद आश्रम के बाहर कुछ भक्तों ने डेरा जमा लिया। सुरक्षा के लिए पुलिस बल की तैनाती कर दी गई और आश्रम में बाहरी लोगों का प्रवेश बंद कर दिया गया। मीडिया के पहुंचने के बाद मंगलवार रात्रि पुलिस ने आश्रम के अंदर प्रवेश किया। बाहर निकलकर सीओ भोगांव सुनील कुमार सिंह ने बाबा के अंदर न होने की बात कही, जबकि अनुयायियों का कहना था कि बाबा अंदर ही हैं।
आश्रम के बाहर पुलिस की तैनाती
बाबा के अनुयायी रातभर आश्रम के गेट के बाहर डटे रहे और सुरक्षा में पुलिस भी तैनात रही। इसके बाद सुबह साढ़े सात बजे आश्रम से गाड़ियों का एक काफिला बाहर निकला। काफिले में छह गाड़ियां शामिल थीं। चर्चा है कि भोले बाबा इन्हीं में से किसी एक गाड़ी में सवार थे और आश्रम में मौजूद होने की बात उजागर होने के बाद यहां से निकल गए हैं। हालांकि, नाम न छापने की शर्त पर कुछ अनुयायी अब भी बाबा के आश्रम के अंदर ही होने की बात कह रहे हैं।
अनुयायियों का असमंजस
इस हादसे और बाबा की गुप्त वापसी को लेकर अनुयायियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ अनुयायी यह मानते हैं कि बाबा आश्रम में ही हैं और पुलिस व प्रशासन ने जानबूझकर उनकी अनुपस्थिति का दावा किया है। वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग मानते हैं कि बाबा की सुरक्षा के लिए उन्हें गुपचुप तरीके से आश्रम से निकाल दिया गया है।
पुलिस का बयान
इस घटना के बाद पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। सीओ भोगांव सुनील कुमार सिंह का कहना है कि बाबा के आश्रम में होने की कोई जानकारी नहीं थी। आश्रम में की गई छानबीन में बाबा नहीं मिले थे। वहीं, अनुयायियों का कहना है कि बाबा की सुरक्षा के चलते उन्हें बाहर नहीं लाया गया।
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आश्रम के अनुयायियों का धैर्य
बाबा के अनुयायी इस स्थिति से काफी दुखी और परेशान हैं। वे बाबा के दर्शन के लिए आतुर हैं और उनके सुरक्षित होने की प्रार्थना कर रहे हैं। आश्रम के बाहर अनुयायियों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिया है।
निष्कर्ष
हाथरस हादसे के बाद से भोले बाबा की स्थिति और स्थान को लेकर उत्पन्न हुई अनिश्चितता ने उनके अनुयायियों और पूरे समाज को चिंतित कर दिया है। पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं बाबा के अनुयायियों के धैर्य की भी परीक्षा हो रही है। इस घटना ने एक बार फिर से धार्मिक स्थलों और कार्यक्रमों में भीड़ प्रबंधन की आवश्यकता को उजागर किया है। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए उचित कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है।