मोदी जी को 400 सीट नहीं मिलने पर ट्रांसपोर्टर ने किया दिल दहला देने वाला कांड!

ट्रांसपोर्टर

हिसार | चरखी दादरी जिले के बाढड़ा हलके के गांव नांधा निवासी ट्रांसपोर्टर सुखविंद्र ने हिसार आकर अपनी ससुराल में जहर निगलकर आत्महत्या की। इस घटना के बाद एक सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 400 सीट पार न करने की वजह से आत्महत्या करने की बात लिखी है। इसके अलावा, नोट में उन्होंने कुछ लोगों से पैसे लेने और देने का भी उल्लेख किया है। पुलिस ने इस मामले में मृतक के भाई जुगविंद्र के बयान पर धारा 174 के तहत इत्तफाकिया कार्रवाई की है।

WhatsApp Group Join Now
Instagram Group Join Now

ट्रांसपोर्टर की आत्महत्या की पृष्ठभूमि

सुखविंद्र ट्रांसपोर्ट व्यवसाय के साथ-साथ खेतीबाड़ी भी करता था। उसके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं। उसकी जिंदगी सामान्य चल रही थी, लेकिन अचानक यह दुखद घटना घटित हुई। शुक्रवार की रात को सुखविंद्र ने जहर निगलकर अपनी ससुराल हिसार के श्रीनगर कॉलोनी में आ गए। वहां उनकी तबीयत बिगड़ने पर ससुरालजनों ने उन्हें तुरंत जिंदल अस्पताल में दाखिल कराया, जहां डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो सके और सुखविंद्र की मौत हो गई।



सुसाइड नोट की सामग्री

सुखविंद्र के सुसाइड नोट में लिखा है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 400 सीटें पार न करने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। यह एक अजीब और चौंकाने वाला कारण है, जो उनके मानसिक स्थिति और उनकी राजनीतिक विचारधारा को दर्शाता है। नोट में उन्होंने अपने आर्थिक लेन-देन का भी विवरण दिया है, जिसमें उन्होंने उन लोगों का नाम लिखा है, जिनसे उन्हें पैसे लेने और देने थे।

पुलिस की कार्रवाई

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। मृतक के भाई जुगविंद्र ने पुलिस को बयान दिया, जिसके आधार पर पुलिस ने धारा 174 के तहत इत्तफाकिया कार्रवाई की है। पुलिस ने सुसाइड नोट को अपने कब्जे में लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि क्या सुखविंद्र पर किसी प्रकार का आर्थिक या मानसिक दबाव था, जिसने उसे इस हद तक जाने के लिए मजबूर किया।



पारिवारिक प्रतिक्रिया

सुखविंद्र के परिवार और ससुराल वालों के लिए यह घटना अत्यंत दुखद और अविश्वसनीय है। उनके परिवार का कहना है कि सुखविंद्र एक मेहनती और जिम्मेदार व्यक्ति थे, जो अपने परिवार की देखभाल के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उनकी आत्महत्या ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। परिवार का यह भी कहना है कि उन्हें कभी भी सुखविंद्र के मानसिक तनाव या राजनीतिक सोच की इतनी गहरी चोट का अंदाजा नहीं था।

 Join YouTube ▶️

सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य के पहलू

सुखविंद्र की आत्महत्या एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य और समाज में राजनीतिक विचारधारा के प्रभाव पर सवाल खड़े करती है। यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और न ही किसी भी प्रकार के सामाजिक या राजनीतिक दबाव को हल्के में लिया जाना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि इस प्रकार की त्रासद घटनाओं को रोका जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *