‘लैंड बैंक’ योजना के तहत किसानों से जमीन खरीदने के प्रयासों को बड़ा झटका लगा है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की टीमों को लगातार दूसरे दिन भी भारी विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें उल्टे पांव भागना पड़ा। किसानों का कहना है कि वे बढ़ा हुआ मुआवजा मांग रहे हैं, जबकि अथॉरिटी उन्हें पुराने मुआवजे पर ही संतुष्ट करना चाहती है।
10 गांवों में अधिग्रहण की योजना
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अपने ‘लैंड बैंक’ के लिए 10 गांवों में जमीन खरीदने की योजना बनाई है। इसके तहत खेड़ी, सुनपुरा, खोदना, वैदपुरा, भोला रावल, अच्छेजा, लड़पुरा, जौन समाना, तिलपता करनवास और भनौतामीन गांवों में कैंप लगाकर जमीन खरीदी जानी थी। सोमवार को खेड़ी गांव में विरोध के बाद, मंगलवार को सुनपुरा गांव में भी अधिकारियों को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा और उन्हें वहां से लौटना पड़ा।
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किसानों का भारी आक्रोश
सुनपुरा गांव के किसानों का कहना है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण मुफ्त में उनकी जमीन लेना चाहता है और पिछले 10 सालों से उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। किसानों का आरोप है कि प्राधिकरण की ‘लैंड बैंक’ योजना उनकी मांगों को पूरा करने में विफल हो रही है। खेड़ी गांव में शुरू हुई योजना पहले दिन ही विरोध का सामना कर चुकी है और अब सुनपुरा गांव में भी किसानों ने इसका जमकर विरोध किया।
आगामी प्रोजेक्ट और मास्टर प्लान के लिए जमीन की जरूरत
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण किसानों से जमीन खरीदकर इसे ‘लैंड बैंक’ में एकत्रित करना चाहता है। इस जमीन को भविष्य में उद्योगपतियों और कंपनियों को दिया जाएगा, जो जिले में अपने प्रोजेक्ट और फैक्ट्रियां लगाना चाहते हैं। हालांकि, किसानों के विरोध के कारण इस योजना को अमलीजामा पहनाना मुश्किल होता दिख रहा है।
समस्या का समाधान क्या?
किसानों की मांग है कि उन्हें उनकी जमीन का उचित मुआवजा दिया जाए और उनकी सभी मांगों को पूरा किया जाए। यदि प्राधिकरण किसानों की मांगों को पूरा नहीं करता है, तो इस योजना का सफल होना कठिन प्रतीत हो रहा है।
इस घटना ने एक बार फिर से किसानों के अधिकारों और उनकी जमीन के उचित मुआवजे के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को अब इस समस्या का समाधान निकालने के लिए गंभीरता से विचार करना होगा ताकि भविष्य में इस तरह के विरोध से बचा जा सके।