फरीदाबाद: फरीदाबाद के सेक्टर-15ए की निवासी सुलोचना भाटिया ने अपने 14 वर्षीय बेटे जियांश भाटिया को पैर में चोट लगने के बाद एस्कॉर्ट फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां इलाज में कथित लापरवाही के कारण बच्चे का पैर काटना पड़ा। सुलोचना ने डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है और इस आधार पर कोतवाली थाना पुलिस ने अस्पताल के डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
घटना का विवरण
सुलोचना भाटिया ने बताया कि 21 अक्टूबर 2023 को उनका बेटा जियांश साइकिल चलाते समय गिरकर घायल हो गया था। चोट के कारण तेज दर्द और सूजन हो गई थी, जिसके बाद सुलोचना उसे नीलम-बाटा रोड स्थित एस्कॉर्ट फोर्टिस अस्पताल ले गईं। वहां आपातकालीन उपचार के बाद बच्चे को भर्ती कर लिया गया। सुलोचना और अस्पताल के कर्मचारियों ने डॉ. के.डी. सोनी को कई बार फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद डॉ. सुरेंद्र रैना पहुंचे और बच्चे के पैर को सीधा कर पट्टी बांध दी और एमआरआई व अन्य टेस्ट कराने को कहा।
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एमआरआई न कराने का आरोप
सुलोचना का आरोप है कि अस्पताल स्टाफ ने एमआरआई नहीं की, जबकि बच्चा दर्द से चिल्ला रहा था। इमरजेंसी में तैनात नर्सिंग स्टाफ ने बच्चे को धमकाया कि अगर उसने अपने दर्द के बारे में किसी को बताया, तो उसे उसकी मां से दूर आईसीयू में भेज दिया जाएगा। बच्चा पूरी रात दर्द से रोता रहा।
अगले दिन की घटनाएँ
22 अक्टूबर को दोपहर में एमआरआई के बाद डॉ. सुरेंद्र ने बच्चे का ऑपरेशन किया, लेकिन बच्चे को आराम नहीं मिला। अपने बेटे की हालत बिगड़ते देख सुलोचना ने उसे दूसरे अस्पताल में भर्ती कराने का फैसला किया। बिल चुकाने के बाद काफी मशक्कत के बाद उन्हें जांच रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज मिले। इसके बाद उन्होंने जियांश को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि इलाज में लापरवाही के कारण बच्चे की जान बचाने के लिए उसका पैर काटना पड़ेगा। मजबूरन, बच्चे का एक पैर काट दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग की जांच
सुलोचना ने 14 नवंबर 2023 को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से शिकायत की। स्वास्थ्य विभाग के बोर्ड सदस्यों ने जांच में लापरवाही पाई। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में भी लापरवाही साबित हुई।
पुलिस कार्रवाई
कोतवाली थाने ने डॉ. सुरेंद्र रैना, डॉ. के.डी. सोनी, डॉ. अशोक धर और अस्पताल के अन्य कर्मचारियों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
इस घटना ने न केवल परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, बल्कि चिकित्सा जगत में भी सवाल उठाए हैं। परिवार और आम जनता अब न्याय की मांग कर रही है और इस तरह की लापरवाही की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है।