सरकारी अस्पताल में चिकित्साधिकारी से छेड़छाड़ का मामला, दो डॉक्टरों पर एफआईआर दर्ज

छेड़छाड़

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक सरकारी अस्पताल में चिकित्साधिकारी के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना ने चिकित्सा जगत को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना 1 जुलाई की दोपहर को घटी, जब दो व्यक्तियों ने अस्पताल में घुसकर प्रभारी चिकित्साधिकारी के साथ दुर्व्यवहार और छेड़छाड़ की। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।

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घटना का विवरण

लखनऊ के एक सरकारी अस्पताल की प्रभारी चिकित्साधिकारी ने बताया कि वह 1 जुलाई को अपने कक्ष में कार्यरत थीं। दोपहर करीब 12.45 बजे दो लोग बाइक से आए और सीधे उनके कक्ष में प्रवेश कर गए। दोनों व्यक्तियों ने खुद को गोयल अस्पताल के डॉक्टर बताया। उनमें से एक व्यक्ति ने चिकित्साधिकारी का हाथ पकड़ लिया और उनके साथ अभद्र व्यवहार करने लगा, जबकि दूसरा व्यक्ति उनका मोबाइल छीनने की कोशिश करते हुए गाली-गलौज करने लगा।

शोर मचाने पर भागे आरोपी

प्रभारी चिकित्साधिकारी ने शोर मचाया, जिससे अस्पताल का चौकीदार वहां आ पहुंचा। चौकीदार को देखते ही दोनों आरोपी चिकित्साधिकारी को धमकी देते हुए मौके से फरार हो गए। इस घटना से चिकित्साधिकारी घबरा गईं और तुरंत इसकी जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी।

गोयल अस्पताल में पहचाने गए आरोपी

ओपीडी खत्म होने के बाद, चिकित्साधिकारी ने गोयल अस्पताल जाकर वहां के प्रधानाचार्य से इस घटना की शिकायत की। उन्होंने देखा कि एक आरोपी प्रधानाचार्य के कक्ष में बैठकर मोबाइल चला रहा था। चिकित्साधिकारी ने जब प्रधानाचार्य को पूरी घटना बताई, तो उन्होंने आरोपी को अपने अस्पताल का प्रोफेसर बताया।

पुलिस में शिकायत और एफआईआर

प्रभारी चिकित्साधिकारी ने इस गंभीर घटना की जानकारी बीबीडी पुलिस थाने में दी। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोनों आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार करने की कोशिश में है।

चिकित्सा समुदाय में आक्रोश

इस घटना ने चिकित्सा समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने की मांग की है। चिकित्सकों का कहना है कि अस्पताल जैसी जगह पर ऐसी घटनाएं बेहद शर्मनाक और अस्वीकार्य हैं। इससे न केवल चिकित्सकों की सुरक्षा पर सवाल उठते हैं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की विश्वसनीयता पर भी आंच आती है।

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