उच्च न्यायालय के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में निचली अदालत द्वारा दी गई जमानत के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी।
याचिका वापसी की अनुमति
न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ ने केजरीवाल को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी। वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी ने अदालत में दलील दी कि केजरीवाल ने उच्च न्यायालय के 21 जून के मौखिक अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन मंगलवार को उच्च न्यायालय ने जमानत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर निर्णय दे दिया।
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घटनाओं के त्वरित विकास
सिंघवी ने पीठ को बताया, “हर दिन घटनाएं हमारे सामने आ रही हैं,” और दोनों आदेशों को चुनौती देने के लिए नई याचिका दायर करने की अनुमति मांगी।
उच्च न्यायालय का ‘विकृत’ आदेश
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को निचली अदालत द्वारा केजरीवाल को दी गई जमानत पर रोक लगाते हुए इसे ‘विकृत’ करार दिया। न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन ने कहा, “आक्षेपित आदेश के अवलोकन से पता चलता है कि अवकाशकालीन न्यायाधीश ने प्रतिद्वंद्वी पक्षों द्वारा रिकॉर्ड पर लाई गई संपूर्ण सामग्री का अध्ययन किए बिना ही आक्षेपित आदेश पारित कर दिया है, जो आक्षेपित आदेश में विकृति को दर्शाता है।”
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अंतरिम जमानत और आत्मसमर्पण
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 21 मार्च को गिरफ्तार किए गए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने 1 जून तक 21 दिन की अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया था ताकि वह लोकसभा चुनाव में प्रचार कर सकें। इसके बाद उन्होंने 2 जून को आत्मसमर्पण कर दिया था।